सर्वेश तिवारी

सर्वेश तिवारी समाज के चहुमुखी विकास को समर्पित एक जिम्मेदार सामाजिक कार्यकर्ता हैं। समाज के वंचित वर्गों के प्रति सेवा की भावना से भरे सर्वेश हमेशा से सामाजिक उत्थान से जुड़े कार्यों में सहयोग करने में सबसे आगे रहे हैं। चाहे संबंधित संगठनों की सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से हो या अपनी व्यक्तिगत क्षमता से, सर्वेश ने हमेशा सामाजिक समस्याओं को हल करने का प्रयास किया है।

लंबे समय से सर्वेश दिव्यांग जनों, लिंग भेदभाव से प्रभावितों, प्रवासियों और शहीदों के परिवारों की समस्याओं को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। पेशे से कम्युनिकेशन और मीडिया विशेषज्ञ सर्वेश सामाजिक परिवर्तन लाने में कम्युनिकेशन की आवश्यकता और मीडिया की भूमिका को बखूबी समझते हैं। विभिन्न इनफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण कार्य से जुड़े संगठनों के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन विभाग में काम करते हुए उन्होंने ना केवल सीएसआर गतिविधियों की नियमितता को सुनिश्चित किया बल्कि उसे संगठन के अभिन्न अंग के रूप में भी स्थापित किया।

दिल्ली मेट्रो (डीएमआरसी) के साथ कार्यकाल के दौरान सर्वेश को स्टेकहोल्डर मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई। सर्वेश निर्माण कार्य के दौरान बेघर हुए लोगों की तकलीफ से दुखी थे। उन्होंने घर से वंचित इन लोगों के पुनर्वास के लिए एक मॉडल कोड स्थापित करने का संकल्प लिया और इसपर काम करना शुरू किया। शीघ्र ही उन्होंने अपनी अनुसंशाएँ शीर्ष प्रबंधन के सामने रखी, जिसे प्रबंधन ने ना केवल सराहा बल्कि स्वीकार भी किया। उनके इस कार्य ने उन्हें देश के प्रमुख स्टेकहोल्डर मैनेजमेंट पेशेवरों में ला खड़ा किया।

जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि जिस संगठन से वह जुड़े हैं उसका उद्घाटन ‘उपासना स्पेशल स्कूल’ के बच्चों द्वारा किया गया था। समय-समय पर उन्होंने हाशिए पर रहने वाले लोगों के साथ अपनी खुशियाँ साझा की है। उन्होंने ‘दीपाश्रम’ में शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग अनाथों के साथ वर्षगांठ और अन्य अवसरों पर जश्न मनाकर उन्हें अपनी खुशियों में शामिल किया है। उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सर्वेश उनके लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था भी करते रहे हैं।

उरी हमले के दौरान शहीद हुए सशस्त्र बल के जवान सुनील कुमार विद्यार्थी के परिवार को सर्वेश ने गोद लिया और उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ली। तब से, वह शहीद के परिवारों को सहायता प्रदान करने को लेकर मुखर रहे हैं। वह शहीदों के परिवारों तक पहुंचने तथा उनकी आवाज सरकारों और संबन्धित विभागों तक पहुंचाने में परिवार की हर संभव मदद कर रहे हैं।

सर्वेश दिसंबर 2012 के दिल्ली हमले की पीड़िता ‘निर्भया’ को न्याय दिलाने के अभियान में सक्रिय रूप जुड़े रहे। परिणामस्वरूप निर्भया के माता-पिता ने उन्हें ‘निर्भया ज्योति ट्रस्ट’ (निर्भया के माता-पिता सुश्री आशा देवी और श्री बद्री नाथ द्वारा स्थापित एक संगठन जो संकट में महिलाओं की मदद करता है) में महासचिव पद की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए आमंत्रित किया, जिसका उन्होंने बखूबी निर्वहन किया। सर्वेश लैंगिक भेदभाव के कारण उत्पन्न अंतर को कम करने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

उनके द्वारा संचालित गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) ‘राइज ऑलवेज वेलफेयर सोसाइटी’ प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को हल करने को लेकर काफी सक्रिय है। व्यक्तिगत समस्याओं को हल करने के अलावा, एनजीओ दिल्ली-एनसीआर में ठंड के मौसम में गरीब प्रवासियों के बीच गर्म कपड़ों का वितरण भी करती है।

‘कलम तलवार की तुलना में अधिक शक्तिशाली होती है’, इस कहावत पर भरोसा करने वाले सर्वेश अख़बारों और पत्रिकाओं के माध्यम से विभिन्न सामाजिक मुद्दों को उठाते रहे हैं। सामाजिक विसंगतियों पर केन्द्रित उनके लेख देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं जैसे- द इकोनॉमिक टाइम्स, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, आउटलुक, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, प्रभात खबर में अक्सर ही पढ़ने को मिल जाते हैं। पाक्षिक पत्रिका ‘दिल्ली न्यूज ट्रैक’ और ‘डबल हेलिकल’ पत्रिका के सफल संपादन के साथ ही उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर किताबें भी लिखी हैं। उन्हें मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित भी किया गया है।